सारी उम्र आँखों में एक सपना याद रहा,
सदियां बीत गई जिसमें वो लम्हा याद रहा,
न जाने क्या बात थी उसमें..........
सारी महफ़ील भूल गए बस वो ही एक चेहरा याद रहा!!!
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कभी कभी ये दिल जरूर रोता है,
जब कोई अपना मिल कर नजरों से दूर होता है,
क्यूं रोती हैं कमबख्त ये आँखें,
क्यूं कि दिल से ज्यादा इनका ही कसूर होता है!!!!!
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कफ़न से मत देखो मेरे चेहरे को,
मुझे आदत है मुस्कुराने की,
मत दफ़नाओं मुझे कबर में,
मुझे अब भी उम्मीद है किसी के आने की........
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आपके चेहरे पर हम इस कदर नूर है,
कि आप कि याद में रोना भी मंजुर हैं,
बे-वफ़ा भी नही कह सकते आप को,
प्यार तो हमने किया है आप तो बे-कसूर हैं......
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दिल को आदत सी हो गई है चोट खाने की,
भीगी पलको के संग मुस्कुराने की,
काश अंजाम हम पहले से जान जाते,
तो कोशिश ही न करते दिल लगाने की!!!!
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जान कर भी तुम मुझे जान न पाये,
आज तक तुम मुझे पहचान न पाये,
खुद ही की है बे-वफ़ाई हमनें,
ताकी तुझ पर कोइ इलजाम न आये!!!
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मेरी चाहत ने उसे खुशी दे दी,
बदले में उसने मुझे सिर्फ़ खामोशी दे दी,
खुदा से दुआ मांगी मरने की,
लेकिन उसने भी तडपने के लिए जिंदगी दे दी!!!!!
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दर्द से दोस्ती हो गई यारों,
जिंदगी बे-दर्द हो गई यारों,
क्या हुआ जो जल गया आशियाना हमारा,
दूर तक रोशनी तो हो गई यारो..........
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हमनें तो उमर गुजार दी तन्हाईं में,
सह लिये सीतम तेरी जुदाई में,
अब तो ये फ़रीयाद है खुदा से,
कोई औए न तडपे तेरी बे-वफ़ाई में!!!!!
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नाकाम सी कोशिश किया करते हैं,
हम हैं कि उनसे प्यार किया करते हैं,
खुदा ने तकदीर में एक टुटा तारा तक नही लिखा,
और हम हैं कि चांद की आरजु किया करते हैं.....
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मेरे जनाजें में उसे न बुलाना,
मोहब्बत की तौहिन होगी,
मैं चार लोगों के कंधों पर जा रहा होऊंगा,
और मेरी जान पैदल चल रही होगी.....
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ये सच है दोस्तों किसी से प्यार न करना,
कभी किसी का ऎतबार न करना,
थाम के कंजार अपने ही हाथों में,
बे-दर्दी से अपने दिल पर वार मत करना...
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घर जला के इक शमा नें,
रोशन तो कर दिया मौहल्ला सारा,
एक दम भी न निकला था कि लोगों ने,
जनाजा उठा कर,कर दिया मेरा दिवाला...
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हर इकरार तेरे इनकार से अच्छा होगा,
मेरा हर दिन तेरी उस रात से अच्छा होगा,
न हो यकीन तो झांक लेना अपनी डोली से,
मेरा जनाजा तेरी बारात से अच्छा होगा...
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हो चुकी मुलाकात अभी सलाम बाकी है,
तेरे नाम की दो घूंट शराब बाकी है,
तुमको मुबारक हो खुशीयों का शामियाना,
मेरे नसीब में अभी दो गज जमींन बाकी है..
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उसको चाहा भी तो इकरार करना न आया,
कट गई उमर पर हमें प्यार करना न आया,
उसने मांगा भी अगर कुछ तो मांगी जुदाई,
और एक हम थे कि इनकार करना भी न आया......
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जुदाई का पता होता अगर प्यार से पहले,
तो मौत की दूआ मांगते हम दीदार से पहले...
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Mera Janaza Teri Baarat Se Aacha Hoga
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6 टिप्पणियां:
"मेरा जनाज़ा तेरी बारात से अच्छा होगा"
वाह पार्थ भैया, मजा आ गया। बहुत ही बढियां।
क्या दर्द है इनमें, ओर क्या छायाचित्रा लगाये आपने, बहुत खुब, हिन्दी के शब्द ही नहीं मिल रहे आप की प्रशंसा मे।
बहुत ही बढिया।
Awesome shaiyaris by my good freind parth..........IT SHOWS PAIN IN LOVE.....
बढ़िया संकलन है! शुक्रिया ! इस संकलन के लिए लेकिन यह तब और भी बढ़िया लगता अगर साथ में यह शेर जिनके लिखे हुए हैं उनके नाम भी दिए होते तो!!
बहुत खूब भाई, आपने आपनी कविता कोई बहुत ही बेहतर शब्दों में प्रस्तुत किया है। सच में आशिक के जानाजे कि बारात से क्या तुलना ?
Aapki har pankti/ shabd se dard jhalakta.....lekin thoda behka-behka...jo aksar dard ki abhiwyakti men hota hai....
dard ka dose thoda kam bhi rahe to chalega.......
good attempt...likhte rahiye
इस तरह के साहित्य के भी संकलन की आवश्यकता है। इससे अंतरजाल जगत समृद्ध होगा। आप साधुवाद के पात्र हैं।
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